ज़रूरी है हर दिन कुछ करना
कुछ बनने के लिए
जो बन गए उसे बनाए रखने के लिए
जो रह गया उसे बनाने के लिए
हर दिन कुछ न कुछ करते रहना।
मन थक कर निराश कोने खोजता हो
तो हर दिन उगने वाला सूरज देखना
सुबह से संधिकाल तक उसकी क्रिया देखना
ओढ़ती है रात दुनिया तो
सूरज का धैर्य देखना
चलने के लिए ज़रूरी हर दिन कुछ करना
कुछ बनने के लिए ज़रूरी है
हर दिन बनना।
तन थक कर कमज़ोर बिस्तर खोजता हो
बूढ़े हाथ देखना
बूढ़े कदमों को चलते देखना
उन्हें रिक्शा चलाते
सामान बेचते
झाड़ू लगाते कूड़ा उठाते देखना
उस बूढ़े तन की जीवटता देखना
हर दिन जीने के लिए
ज़रूरी है कुछ करना
हर दिन करना हर दिन बनना।
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